हे पृथ्वीराज कमान बांध तू मुट्ठी ग्रहण कर जो निराशा आत्मशक्ति भर और ध्यान कर जो कुछ कहा तूने उसको पूरा कर मत चुके चौहान| प्राण अंजनी में लेकर दे तू नी शब्द -को- शब्द भेद कर है अंतिम अवसर यही सुन दे कर है तू ध्यान एक बाण से लक्ष्य कर मत चुके चौहान।
“चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण इतने पे घड़ियाल है मत चूके चौहान”।
आखिर किसने सिखाया था अब पृथ्वीराज सिंह चौहान को शब्दभेदी बाण?
एक समय की बात है जब पृथ्वीराज सिंह चौहान सुबह-सुबह माता के दर्शन करने मंदिर जाया करते थे उसी समय उन्होंने माता के मंदिर पर ताजे फूल चढ़े हुए देखें फिर उन्होंने यह सोचा कि मेरे से पहले यहां कौन आता है |जो सबसे पहले माता के दर्शन करता है और ताजे फूल चढ़ाकर जाता है। इस बात को जानने की उत्सुकता में उन्होंने यह सोचा कि मैं मंदिर में सबसे पहले जाऊंगा और देखूंगा कि सबसे पहले माता को कौन फूल चढ़ाता है।
तभी उन्होंने छुप कर देखा कि सुबह-सुबह एक बहुत अजीब और लंबा इंसान आता है| माता के दर्शन करने जो कि इस युग से बिल्कुल ही अलग है। तभी उन्हें पता चला कि यह महाभारत काल के योद्धा अश्वत्थामा है| जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने श्राप दिया था युगों युगों तक भटकने का सभी पृथ्वीराज चौहान उनके सामने आ गए और उन्हें प्रणाम किया|
और उनसे यह प्रणाम किया कि है,महा योद्धा अश्वत्थामा आपको कोटि-कोटि प्रणाम आपसे मेरे दर्शन हुए मैं सफल हो गया| और उनसे यह कहां की है महा योद्धा अश्वत्थामा आप से मेरी मुलाकात हुई है उसके पीछे एक विशेष कारण है| आप जाते जाते मुझे कुछ विद्या दे |
फिर अश्वत्थामा ने कहा हे राजन मैं तुम्हें कुछ नहीं सिखा सकता इस युग में सारी शक्ति समाप्त हो गई है मनुष्य युगांतर में जी रहा है। फिर भी पृथ्वीराज चौहान के बार-बार आग्रह करने के कारण महा योद्धा अश्वत्थामा ने उनसे कहा कि मैं तुम्हें शब्दभेदी बाण चलाने की विद्या प्रदान करता हूं।
तब पृथ्वीराज चौहान ने उन्हें प्रणाम किया और यह विद्या उनसे ग्रहण की। और इसी शब्दभेदी बाण कि विद्या से उन्होंने अफगानी मुल्क के कायर मोहम्मद गौरी को मार गिराया।
SUCH A NICE KNOWLEDGE
Nice jai bhawani
Binod
BHAI AKHA INTERNET PA ITNA ACCHA BLOG PAGE NHE DEKHA TERE HATH DA LA CHUM LU♥️♥️