एक समय की बात है। राजा दशरथ एक बार जंगल में शिकार करने गए |यह कथा उस समय की है जब राजा दशरथ हमेशा शिकार किया करते थे| वह इसे खेल माना करते थे तभी वह 1 दिन शिकार करने जंगल में पहुंचे। तब भगवान शिव ने उन्हें सीख देने के लिए अपना रूप बदला और उनहे समझाया की शिकार करना गलत है किसी की जान लेना गलत है|लेकिन राजा दशरथ के हट के कारण वह महादेव को दूसरे रूप में पहचान ना सके फिर उन्होंने शिकार करने के लिए जंगल की ओर प्रस्थान किया|
तब जंगल में पेड़ों के हिलने की आवाज आई उन्हें लगा कि यहां कोई जंगली जानवर है उन्होंने शब्दभेदी बाण की विद्या से अपना तीर उन झाड़ियों की इधर मोड़ दिया और तीर छोड़ दिया उसी समय तीर जाकर लगा श्रवण कुमार को जो जंगल में अपने माता पिता के लिए पानी भरने आए थे नदी पर एकदम चीख सुनते ही राजा दशरथ उनके पास पहुंचे उन्होंने उनसे माफी मांगी श्रवण कुमार ने तो माफ कर दिया लेकिन श्रवण कुमार ने यह कहा कि मेरे माता-पिता से जाकर माफी मांगो वह तुम्हें माफ कर देंगे मैं कोई नहीं होता हूं माफ करने वाला|
श्रवण कुमार जो कि अपने माता पिता को चारों धामों की यात्रा के लिए ले जा रहे थे। तभी उनके माता-पिता को भी जंगल में प्यास लगी श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को जमीन पर रखा और उनके लिए पानी भरने नदी पर पहुंचे तभी एकदम से राजा दशरथ का चलाया हुआ शब्दभेदी बाण उनकी छाती पर आ लगा और उनकी मृत्यु हो गई|
जब राजा दशरथ पानी का घड़ा लेकर उनके माता-पिता के पास पहुंचे तब उनके माता-पिता को श्रवण कुमार की अनुपस्थिति महसूस होने लगी उन्हें लगा कि यह श्रवण कुमार नहीं है तभी राजा दशरथ ने कहा कि मैं अयोध्या का राजा हूं |फिर जाकर श्रवण कुमार के माता-पिता को उन्होंने पूरा किस्सा बताया और उनसे माफी मांगी कि मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई है माता और पिता तब श्रवण कुमार के माता-पिता आग बबूला हो गए। और श्रवण कुमार के माता-पिता ने राजा दशरथ को शाप दिया कि जिस तरह हम इस पीड़ा से हमारा शरीर छोड़ रहे हैं उसी पीड़ा से तू भी एक दिन तेरे पुत्रों के लिए तड़पेगा और इसी कारण तेरी मृत्यु हो जाएगी| श्रवण कुमार के माता-पिता ने अपना शरीर त्याग कर स्वर्गवास चले गए|
इसी कारण राजा दशरथ का उनके पुत्रों के प्रति मोह और बढ़ गया। एक समय की बात है जब राम भगवान की माता कैकई ने उन्हें लक्ष्मण सीता सहित 14 साल वनवास की आज्ञा दी फिर भगवान राम ने उनकी माता की आज्ञा का पालन किया। इसी कारण उनके पुत्रों की अनुपस्थिति के कारण राजा दशरथ पीड़ा के कारण मृत्यु को प्राप्त हो गए|